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अब जबलपुर में थाई अमरूद की बहार, एक किलो तक एक फल का वजन

थाई अमरुद

महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए थाई अमरूद बड़ा आधार बनेंगे। जिले के सभी जनपदों में महिला स्व-सहायता समूहों के 1300 सदस्यों ने अपने घरों में खाली पड़ी जगह के अलावा खेतों की मेड़ पर इन्हें लगाया है। कई पौधों में फल आने शुरू हो गए हैं।

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कल्टीवेशनल प्रजाति के आकर्षक दिखने वाले अमरूद की शहरी क्षेत्रों में काफी डिमांड है। सामान्य अमरूद से इसकी कीमत लगभग दोगुनी होती है। यह 50 से 70 रुपए किलो तक बिकता है। खट्टे-मीठे स्वाद वाले इस फल का वजन आधा किलो से एक किलो तक होता। जानकारों ने बताया कि सीजन में एक पौधा 40 से 50 किलो तक फल देता है। यदि पांच पौधे भी एक जगह लगे हैं तो उससे अच्छी खासी आय हो सकती है।एक अमरूद का पेड़ लगभग 20 वर्षों तक फल देता है। साल में दो बार फल निकलते हैं।

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राष्ट्रीय अजीविका मिशन के तहत संचालित महिला स्व-सहायता समूहों के सदस्यों ने इन पौधों को खरीदकर लगाया है। जिले की सात जनपदों में 33 हजार 400 पौधे थाई अमरूद के लगाए गए हैं। इसमें मझौली में सबसे ज्यादा 12 हजार पौधे लगाए गए हैं। इसी प्रकार शहपुरा में 5 हजार, सिहोरा में 47 सौ और पनागर में 35 सौ पौधे लगाए गए हैं। ज्यादातर पेड़ तैयार हो गए हैं।महिला स्व-सहायता समूहों ने थाई अमरूद के पौधे लेकर लगाए हैं। यह काफी आमदनी प्रदान करता है। कुछ जगहों पर फल आने शुरू हो गए हैं।

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